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Wednesday, August 17, 2011

जागा हुआ ही दूसरों को जगा सकता है


आत्मपरिवतर्न के साथ-साथ यही जाग्रत आत्माएँ विश्व परिवतर्न की भूमिका प्रस्तुत करेंगी   प्रकाशवान ही प्रकाश दे सकता है आग से आग उत्पन्न होती है जागा हुआ ही दूसरों को जगा सकता है जागरण की भूमिका जाग्रत आत्माएँ ही निभाएँगी आत्मपरिवतर्न की चिनगारियाँ ही युग परिवतर्न के प्रचण्ड दावानल का रूप धारण करेंगी यही सब तो इन दिनों हो रहा है जाग्रत आत्माओं में एक असाधारण हलचल इन दिनों उठ रही है उनकी अन्तरात्मा उन्हें पग-पग बेचैन कर रही हैं, ढर्रे का पशु जीवन नहीं जिएँगे, पेट और प्रजनन के लिए-वासना और तृष्णा के लिए जिन्दगी के दिन पूरे करने वाले नरकीटों की पंक्ति में नहीं खड़े रहेंगे, ईश्वर के अरमान और उद्देश्य को निरथर्क नहीं बनने देंगे लोगों का अनुकरण नहीं करेंगे, उनके लिए स्वतः अनुकरणीय आदर्श बनकर खड़े होंगे यह आन्तरिक समुद्र मन्थन इन दिनों हर जीवित और जाग्रत आत्मा के अन्दर इतनी तेजी से चल रहा है कि वे सोच नहीं पा रहे कि आखिर यह हो क्या रहा है वे पुराने ही हैं पर भीतर कौन घुस पड़ा जो उन्हें ऊँचा सोचने के लिए ही नहीं, ऊँचा करने के लिए भी विवश, बेचैन कर रहा है निश्चित रूप से यह ईश्वरीय प्रेरणा का अवतरण है
युग निमार्ण योजना दशर्न,स्वरूप कार्य पृष्ठ-.१४

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