युग परिवर्तन का अर्थ है- विचार परिवर्तन । जन-साधारण की वर्तमान मान्यताओं एवं आस्थाओं का स्तर बदला जा सके तो हाड़-माँस की दृष्टि से ज्यों का त्यों रहने पर भी मनुष्य आश्चर्यजनक रीति से बदल जाएगा । साधारण राजकुमार का भगवान बुद्ध, एक जघन्य डाकू का ऋषि बाल्मीकि, दुदार्न्त हत्यारे का ऋषि अंगुलिमाल, वेश्या का साध्वी आम्बपाली, अशिक्षित जुलाहे का संत कबीर, अछूत का तत्त्वज्ञानी रैदास, व्यभिचारी का विल्वमंगल बन जाना विचारणाओं के परिवतर्न का ही चमत्कार है । मनुष्य का हाड़-माँस का आवरण भले ही न बदले पर विचारणाओं का परिवतर्न कुछ ही समय में किसी को भी देवता या असुर बना सकता है ।
परम पूज्य गुरुदेव
वाङमय-६६-२.१
वाङमय-६६-२.१
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