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Sunday, August 14, 2011

यह ऐसा विशेष समय है, जैसा कि हजारों लाखों वर्षों बाद कभी एक बार आता है


मित्रो ! जीवंतों, जाग्रतों और प्राणवान् में से प्रत्येक को अनुभव करना चाहिए कि यह ऐसा विशेष समय है, जैसा कि हजारों  लाखों वर्षों बाद कभी एक बार आता है गाँधी के 'सत्याग्रही' और बुद्ध के 'परिव्राजक' बनने का श्रेय समय निकल जाने पर अब कोई किसी भी मूल्य पर नहीं पा सकता हनुमान और अजुर्न की भूमिका हेतु फिर से लालायित होने वाला कोई व्यक्ति कितने ही प्रयत्न करेअब दुबारा वैस्ाा  अवसर हस्तगत नहीं कर सकता समय की प्रतीक्षा तो की जा सकती है, पर समय किसी की भी प्रतीक्षा  नहीं करता भगीरथ, दधीचि और हरिश्चंद्र जैसा सौभाग्य अब उनसे भी अधिक त्याग  करने पर भी पाया नहीं जा सकता 
समय बदल रहा है प्रभातकाल का ब्रह्ममुहूर्त अभी है अरुणोदय के दर्शन अभी हो सकते हैं कुछ घण्टे ऐसे हैं, वे यदि प्रमाद में गँवा दिये जाएँ तो अब वह गया समय लौटकर फिर किस प्रकार सकेगा? युगपरिवतर्न की वेला ऐतिहासिक और असाधारण अवधि है इसमें जिनका जितना पुरूषाथर् होगा, वह उतना ही उच्चकोटि का शौयर्पदक पा सकेगा समय निकल जाने पर-साँप निकल जाने पर-लकीर को लाठियों से पीटना भर ही शेष रह जाता है
इन दिनों मनुष्य का भाग्य और भविष्य नए सिरे  से लिखा और गढ़ा जा रहा है ऐसा विलक्षण समय कभी हजारों-लाखों वर्षों बाद आता है इसे चूक जाने वाले सदा पछताते ही रहते हैं और जो उसका सदुपयोग कर लेते हैं, वे अपने आपको  सदा-सवर्दा के लिए  अजर-अमर बना लेते हैं गोवर्धन  एक बार ही उठाया  गया था   समुद्र  पर सेतु भी एक ही बार बना था कोई यह सेाचता रहे कि ऐसे समय तो बार-बार आते ही रहेगें और हमारा जब भी मन करेगा, तभी उसका लाभ उठा लेंगे तो ऐसा समझने वाले भूल ही कर रहे होंगे इस भूल का परिमाजर्न फिर कभी कदाचित् ही हो सके
प्रज्ञावतार की विस्तार प्रक्रिया-पृष्ठ-२४

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