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Saturday, August 13, 2011

''आतंकवाद'' वस्तुतः कुछ गिने चुने दहशतगजोर्ं की कारस्तानी है


मित्रो ! ''आतंकवाद'' वस्तुतः कुछ गिने चुने दहशतगजोर्ं की कारस्तानी है जो पूरे विश्व में फैले हैं इस पर पूज्यवर का मत है कि इसके लिए समूह मन जगाना होगा भ्रष्ट चिन्तन बदलेगा समूह साधना के प्रयोगों से-जनमानस के जागरण से, सृजेताओं की एक नई पीढ़ी के विकास से जो हममें से ही विकसित होगी गायत्री साधना में बड़ी शक्ति है एवं इसके सबके लिए सद्बुद्धि वाले प्रयोग स्थान-स्थान पर चलने चाहिए आगे वे कहते हैं कि ''अपव्यय इन दिनों चरम सीमा पर है नशेबाजी (शराब की खपत बड़ी तेजी से बढ़ी है)से, फैशनपरस्ती और आभूषणों की सज-धज से, खचीर्ली शादियों से कितना धन और समय बरबाद होता है, वह किसी से छिपा नहीं है शृंगारिक सजधज से केवल पैसा बरबाद होता है वरन् कामुक उत्तेजना को प्रश्रय मिलता है, व्यभिचार का पथ प्रशस्त होता है '' आज पूज्यवर के इस कथन से प्रत्यक्ष देखा जा सकता है कि कितनी तेजी से प्रदशर्नवृत्ति, फैशनपरस्ती, ब्यूटीपालर्सर्, कामुक उत्तेजना भड़काने का तथा इससे जुड़े उपभोक्तावाद एवं पाटीर्बाजी, व्यभिचार आदि को बढ़ावा मिला है फैशन परेड अब कस्बे स्तर पर होने लगती है देहवादी मानसिकता बढ़ती जा रही है अनावश्यक पैसा शरीर पर खचर् हो रहा है अगणित मात्रा में भोजन जो गरीबों में बाँटा जा सकता था, शादी-विवाह की अन्य रस्मों अन्य पाटिर्यों में व्यथर् फेंका जा रहा है यह तब है जब बहुत बड़े तबके के पास खाने के लिए एक समय का भी भोजन नहीं है इसके लिए भी एक जन आंदोलन चलाना होगा-हमें ही समाधान देना होगा

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