गायत्री परिवार के प्रत्येक सदस्य को आपसी खींचतान में अनावश्यक समय नष्ट नहीं करना चाहिए । जन्म-जन्मांतर से संग्रहीत उनकी उच्च आत्मिक स्थिति आज अग्नि परीक्षा की कसौटी पर कसी जा रही है । महाकाल अपने संकेतों पर चलने के लिए बार-बार हमें पुकार रहा है । रीछ-वानरों की तरह हमें उनके पथ पर चलना ही चाहिए । आत्मा की पुकार अनसुनी करके वे लोभ-मोह के पुराने ढर्रे पर चलते रहे, तो आत्म-धिक्कार की इतनी विकट मार पड़ेगी कि झंझट से बच निकलने और लोभ-मोह को न छोड़ने की चतुरता बहुत मँहगी पड़ेगी । अंतरद्वन्द उन्हें किसी काम का न छोड़ेगा । मौज-मजा का आनंद आत्म-प्रताड़ना न उठाने देगी और साहस की कमी से ईश्वरीय र्निदेश पालन करते हुए जीवन को धन्य बनाने का अवसर भी हाथ से निकल जाएगा ।
हमारी युग निर्माण योजना-१-७८
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