आगामी दिनों प्रज्ञावतार का कार्य विस्तार होने वाला है । उस काम की जिमेदारी केवल ब्राह्मण तथा संत ही पूरा कर सकते हैं । आपको इन दो वर्गो में आकर खड़ा हो जाना चाहिए तथा प्रज्ञावतार के सहयोगी बनकर उनके कार्य को पूरा करना चाहिए । अगर आप अपने खर्च में कटौती करके तथा समय में से कुछ बचत करके इस ब्राह्मण एवं संत परम्परा को जीवित कर सकें, तो आने वाली पीढ़ियाँ आप पर गर्व करेंगी । अगर समस्याओं के समाधान करने के लिए खर्च में कुछ कमी आती है, तो हम आपको सहयोग करेंगे ।
- सितम्बर-१९८० शांतिकुंज में उद्बोधन
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