महर्षि अरविन्द कह गये हैं कि ''अतिमानसिक दिव्यता नीचे आकर मानव-प्रकृति का सामूहिक रूपान्तरण करना चाहती हे ।'' यही बात परमपूज्य गुरुदेव ने अपने शब्दों में इस प्रकार कही है-''इन दिनों मनुष्य का भाग्य और भविष्य नये सिरे से लिखा और गढ़ा जा रहा है । ऐसा विलक्षण समय कभी हजारों लाखों वर्षों बाद आता है ।'' इन्हें चूक जाने वाले सदा पछताते रहते हैं और जो उसका सदुपयोग कर लेते हैं, वे अपने आपको सदा-सवर्दा के लिए अजर-अमर बना लेते हैं ।
- वाङमय-१-९.८
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