''आज दुनिया में पार्टियाँ तो बहुत हैं, पर किसी के पास कार्यकर्ता नहीं हैं । लेबर सबके पास है, पर समर्पित कार्यकर्ता जो साँचा बनता है व कई को बना देता है अपने जैसा, कहीं भी नहीं है । हमारी यह दिली ख्वाहिश है कि हम अपने पीछे कार्यकर्त्ता छोड़ कर जाएँ । इन सभी को सही अर्थों में डाई-एक साँचा बनना पड़ेगा तथा वही सबसे मुश्किल काम है । रॉ मटेरियल तो ढेरों कहीं भी मिल सकता है, पर डाई कहीं-कहीं मिल पाती है । श्रेष्ठ कार्यकर्त्ता श्रेष्ठतम डाई बनता है । तुम सबसे अपेक्षा है कि अपने गुरु की तरह एक श्रेष्ठ साँचा बनोगे ।''
- गुरुवर की धरोहर-१-७१
(श्रावणी पर्व-१९८८ कार्यकर्ता संदेश)
(श्रावणी पर्व-१९८८ कार्यकर्ता संदेश)
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