Pages

Friday, July 29, 2011

हमारी यह दिली ख्वाहिश है कि हम अपने पीछे कार्यकर्त्ता छोड़ कर जाएँ

''आज दुनिया में पार्टियाँ तो बहुत हैं, पर किसी के पास कार्यकर्ता नहीं हैं । लेबर सबके पास है, पर समर्पित कार्यकर्ता जो साँचा बनता है व कई को बना देता है अपने जैसा, कहीं भी नहीं है । हमारी यह दिली ख्वाहिश है कि हम अपने पीछे कार्यकर्त्ता छोड़ कर जाएँ । इन सभी को सही अर्थों में डाई-एक साँचा बनना पड़ेगा तथा वही सबसे मुश्किल काम है । रॉ मटेरियल तो ढेरों कहीं भी मिल सकता है, पर डाई कहीं-कहीं मिल पाती है । श्रेष्ठ कार्यकर्त्ता श्रेष्ठतम डाई बनता है । तुम सबसे अपेक्षा है कि अपने गुरु की तरह एक श्रेष्ठ साँचा बनोगे ।''
- गुरुवर की धरोहर-१-७१
(श्रावणी पर्व-१९८८ कार्यकर्ता संदेश)

No comments:

Post a Comment