हमारे विचारों को लोगों को पढ़ने दीजिए । जो हमारे विचार पढ़ लेगा, वही हमारा शिष्य है । हमारे विचार बड़े पैने है, तीखे हैं । हमारी सारी शक्ति हमारे विचारों में सीमाबद्ध है । दुनिया को हम पलट देने का जो दावा करते हैं, वह सिद्धियों से नहीं, अपने सशक्त विचारों से करते हैं । आप हमारे विचारों को फैलाने में सहायता कीजिए । अब हमको नई पीढ़ी चाहिए । हमारी विचारधारा उन तक पहुँचाइए ।
४ अगस्त-१९८३- संदेशा
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