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Wednesday, June 22, 2011

परमात्मा सर्वत्र व्याप्त है

जिस प्रकार र्कत्तव्यशील पुलिस, न्यायाधीश अथवा राजा को सामने खड़ा देखकर कोई पक्का चोर भी चेारी करने या कानून तोड़ने का साहस नहीं कर सकता । इसी प्रकार जिस व्यक्ति के मन में यह भावना दृढ़तापूर्वक समाई हुई है कि परमात्मा सर्वत्र व्याप्त है और हजार आँखों से उसके हर विचार और कार्य को देख रहा है तो उसकी यह हिम्मत नहीं हो सकती कि कोई पाप गुप्त या प्रकट रूप से करे ।

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