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Sunday, July 17, 2011

विचार बीज हैं और कार्य उसका फल

विचार बीज हैं और कार्य उसका फल । किसान की बीज बोने की प्रक्रिया ही कालान्तर में धान्य राशि के रूप में प्रकट होती है । संसार को फलता-फूलता सुखी और संतुष्ट देखना हो तो उसका एकमात्र उपाय यही है कि जनता को धार्मिक विचार अधिकाधिक मात्रा में दिए जाएँ । यह विचार एक चतुर किसान की तरह ही होना चाहिए । जो एक दिन बीज बोकर ही निश्चिन्त नहीं हो जाता वरन अपने खेतों में रोज-रोज खाद, पानी, निराई, गुड़ाई, रखवाली आदि की क्रियाएँ करता ही रहता है ।
- वाङमय-६६-पृष्ठ-३.१२

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