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Sunday, July 24, 2011

समय रहते इस खतरे से बचना चाहिए

जहाँ बहुत लोग नेता बनें, जहाँ बहुतों की महत्वाकाँक्षा यश-लिप्सा हो, वह दल अथ्वा संगठन नष्ट होकर रहता है । युग शिल्पियों-गायत्री परिवार के परिजनों को समय रहते इस खतरे से बचना चाहिए । हममें से एक भी लोकेषणाग्रस्त बड़प्पन का महत्वाकाँक्षी न बनने पाये । जो युग शिल्पी-प्रज्ञा परिजन विश्व विनाश को रोकने चले हैं, यदि वे महत्वाकाँक्षा अपनाकर साथियों को पीछे धकेलेंगे, अपना चेहरा चमकाने के लिए प्रतिद्वन्द्विता खड़ी करेंगे, तो अपने पैरों कुल्हाड़ी मारेंगे और इस मिशन को बदनाम, नष्ट-भ्रष्ट करके रहेंगे, जिसकी की नाव पर वे चढ़े हैं ।
प्रज्ञा अभियान का दर्शन स्वरूप-पेज-३१

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