गुरुजी आज भी हममें से प्रत्येक से पूछ रहे हैं-''अपने विशाल परिवार में कहीं सच्च्ी आत्मीयता का कितना अंश विद्यमान है, यह जानने की इच्छा होती है? हमारी आत्मीयता की एक ही कसौटी है कि हमारा दर्द किस-किस की नसों में कितनी मात्रा में भर चला और हमारी आग की कितनी चिनगारियाँ, कितने अंशों में, किसके कलेजे में सुलगने लगी? किसने हमारे प्राणों से सींचे गए संगठन को मजबूत बनाने का संकल्प लिया? कौन स्वार्थ और अहंकार का बलिदान कर इस संगठन के लिए समर्पित हुआ? ये सवाल अपने प्रत्येक परिजन से है । हम इन स्वजन-सहचरों को उनके सामयिक एवं अनिवार्य र्कत्तव्यों में संलग्न होने के लिए अभीष्ट प्रेरणा को फलितार्थ होते देखना चाहते हैं ।''
- वांङमय-१- ८.२६
VERY TRUE, WE WOULD MAKE OUR BEST EFFORTS TO KEEP UP TO HIS EXPECTATIONS.
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