युगद्रष्टा पूज्य गुरुदेव के शब्दों में घोषित करें तो ''(हमारे मिशन) युग निर्माण योजना के अंतर्गत प्रबल प्रयास यह किया जा रहा है कि समस्त मानव जाति को प्रेम, सौजन्य, सद्भाव, आत्मीयता, समता, ममता आदि उच्च् अध्यात्म आदश्र् की आधारशिला पर एकत्रित और संघबद्ध किया जाये ।''
''जो हमें प्यार करता हो, उसे हमारे मिशन से भी प्यार करना चाहिए । जो हमारे संगठन की उपेक्षा-तिरस्कार करता है, लगता है वह हमें ही उपेक्षित-तिरस्कृत कर रहा है । व्यक्तिगत रूप से कोई श्रद्धावान है, उसके लिए कुछ करता है, सोचता है तो लगता है, मानो हमारे ऊपर अमृत बिखेर रहा है और चंदन लेप रहा है । किन्तु यदि केवल हमारे व्यक्तित्व के प्रति ही श्रद्धा है, शरीर से ही मोह है, उसी को प्रशस्ति पूजा की जाती है; यदि मिशन की बात ताक पर उठाकर रख दी जाती है तो लगता है हमारे प्राण का तिरस्कार करते हुए केवल मृत शरीर पर पंखा डुलाया जा रहा है ।''
- वांङमय-१-८.२५, ८.२६
No comments:
Post a Comment