व्यक्तिगत, सामाजिक और राजनैतिक क्षेत्र में संव्याप्त अगणित दुष्प्रवृत्तियों के विरुद्ध व्यापक परिमाण में संघर्ष आरम्भ किया जाये । इसलिए हर नागरिक को अनाचार के विरुद्ध आरम्भ किये धर्म युद्ध में भाग लेने के लिए आह्वान करना होगा । किसी समय तलवार चलाने वाले और सिर काटने में अग्रणी लोगो को योध्धा कहा जाता था, अब माप दण्ड बदल गया । चारों ओर संव्याप्त आतंक और अनाचार के विरुध्ध संघर्ष में जो जितना साहस दिखा सके और चोट खा सके उसे उतना बड़ा बहादुर माना जायेगा । उस बहादुरी के ऊपर ही शोषण में विहीन समाज की स्थापना संभव हो सकेगी । र्दुबुध्धि से कुत्सा और कुण्ठा से लड सकने में जो लोग समर्थ होंगे उन्हीं का पुरुषार्थ पीड़ित मानवता को त्राण दे सकने का यश संचित कर सकेगा ।
- परम पूज्य गुरुदेव
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