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Tuesday, June 21, 2011

प्रेम की अखण्ड ज्योति जगा दो


अपने हृदय में प्रेम की अखण्ड ज्योति जगा दो सबसे प्रेम करो अपनी भुजाएँ पसार कर प्राणी मात्र को प्रेम के पाश में बाँध लो विश्व के कण-कण को अपने प्रेम की सरिता से सींच दो प्रेम वह रहस्यमय दिव्यरस हसै जो एक हृदय से दूसरे हृदय को जोड़ता है यह एक अलौकिक शक्ति संपन्न जादू भरी मलहम है, जिसे लगाते ही सारे कोढ़-खाज अच्छे हो जाते हैं और बेचैन्ाी के स्थान पर शान्ति प्राप्त होती है अपना प्रत्येक कार्य सात्विक प्रेम से भ्ार दो
(अखण्ड ज्योति-१९४०, अक्टूबर )

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