अपने हृदय में प्रेम की अखण्ड ज्योति जगा दो । सबसे प्रेम करो । अपनी भुजाएँ पसार कर प्राणी मात्र को प्रेम के पाश में बाँध लो । विश्व के कण-कण को अपने प्रेम की सरिता से सींच दो । प्रेम वह रहस्यमय दिव्यरस हसै जो एक हृदय से दूसरे हृदय को जोड़ता है । यह एक अलौकिक शक्ति संपन्न जादू भरी मलहम है, जिसे लगाते ही सारे कोढ़-खाज अच्छे हो जाते हैं और बेचैन्ाी के स्थान पर शान्ति प्राप्त होती है । अपना प्रत्येक कार्य सात्विक प्रेम से भ्ार दो ।
(अखण्ड ज्योति-१९४०, अक्टूबर १)
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