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Monday, June 20, 2011

निश्चयात्मक इच्छा शक्ति ही सच्ची चाह है


इच्छा शक्ति वह है जब एक ही बात पर सारे विचार केन्द्रीभूत हो जायें उसी को प्राप्त करने की सच्ची लगन लग जाय संदेह कच्चापन या संकल्प-विकल्प इसमें होने चाहिए गीता कहती है-'संशयात्मा विनश्यति' अर्थात् संशय करने वाला नष्ट हो जाता है पहले किसी काम के हानि-लाभ को खूब सोच-समझ लिया जाय जब कायर् उचित प्रतीत हो तब उसमें हाथ डालना चाहिए, किन्तु किसी काम को करते समय ऐसे संकल्प विकल्प करते रहना चाहिए कि 'जाने यह कायर् पूरा हो या नहीं' सफलता देने वाला निश्चय वह है जिसकी को पहचान कर नेपोलियन ने कहा कि 'असंभव शब्द मूखोर्ं के कोष में है ' निश्चयात्मक इच्छा शक्ति ही सच्ची चाह है
(अखण्ड ज्योति-१९४०, जनवरी २६)

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