इच्छा शक्ति वह है जब एक ही बात पर सारे विचार केन्द्रीभूत हो जायें उसी को प्राप्त करने की सच्ची लगन लग जाय । संदेह कच्चापन या संकल्प-विकल्प इसमें न होने चाहिए । गीता कहती है-'संशयात्मा विनश्यति' अर्थात् संशय करने वाला नष्ट हो जाता है । पहले किसी काम के हानि-लाभ को खूब सोच-समझ लिया जाय । जब कायर् उचित प्रतीत हो तब उसमें हाथ डालना चाहिए, किन्तु किसी काम को करते समय ऐसे संकल्प विकल्प न करते रहना चाहिए कि 'जाने यह कायर् पूरा हो या नहीं' । सफलता देने वाला निश्चय वह है जिसकी को पहचान कर नेपोलियन ने कहा कि 'असंभव शब्द मूखोर्ं के कोष में है ।' निश्चयात्मक इच्छा शक्ति ही सच्ची चाह है ।
(अखण्ड ज्योति-१९४०, जनवरी २६)
No comments:
Post a Comment