आप जीवन के प्रति अपनी धारणा बदल डालिए । विश्वास तथा ज्ञान में ही अपना जीवन भवन निर्माण कीजिए । यदि वर्तमान आपत्तिग्रस्त है, तो उसका यह अर्थ नहीं है कि भविष्य भी अन्धकारमय है । आपका भविष्य उज्ज्वल है । विचारपूर्वक देखिए कि जो कुछ आपके पास है, उसका सबसे अच्छा उपयोग कर रहे हैं अथवा नहीं? क्योंकि यदि प्रस्तुत साधनों का दुरुपयोग करते हैं, तो चाहे वह कितनी ही तुच्छ और सारहीन क्यों न हो, आप उसके भी अधिकारी न रहेंगे । वह भी आपसे दूर भाग जायेंगे या छीन लिए जावेंगे ।
(अखण्ड ज्योति-साधनामय जीवन ः १९५१, मार्च १८)
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